शायद हो भी बेमतलब की
पर कुछ बात है जरूर
कहते कहते न पहले यु रुके थे
बहते बहते अचानक न यु डूबे थे
न मालूम था की सूखे फूलो से भी खुशबु आती है
बादलो के बिना भी बारिश होती है
इस अधूरेपन में भी पूर्णता जन्म लेती है
सूरज दिखा भी कहाँ अभी...
की आकाश में रंग भर आये
रंग बिखरे भी कहाँ अभी ..
की मन में उतर आये
आखो ने देखा भी कहाँ अभी..
की दिल ने पहचान लिया
मन को जो भाया था
सदियों से जो चाहा था
वो कुछ भी तो नहीं यहाँ
फिर ये उमंग जो उठी है
दिल पे जो सवार है बेवजह
ये याद जो भुला दे रही है
आखिर है किसकी
समझने और कहने की न भी हो
पर कुछ बात है जरूर
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